इरफान खान, जितनी सहजता से एक्टिंग करते थे। उतनी ही सहजता से चलें गये। ऐसा कहना है, दीनदयाल मुरारका का, जो राजस्थानी फिल्म एसोसिएशन, मुंबई से कई वर्षों से जुड़े हुए हैं।
जयपुर राजस्थान में जन्में इरफान खान ने अपने फिल्मी कैरियर के छोटे से समय में ,सफलताओं की बड़ी ऊंचाई बहुत जल्द ही हासिल कर ली थी। सलाम बॉम्बे, इस फिल्म से उन्हें अभिनय के क्षेत्र में वास्तविक पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक से एक फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया। उनकी प्रमुख फिल्में, सलाम बॉम्बे, पान सिंह तोमर, लाइफ ऑफ पे, लंच बॉक्स, इत्यादि प्रमुख रही है।
इमरान खान इस दुनिया से तो चले गए। किंतु वह अपने फिल्मों के किरदारों में हमेशा जिंदा रहेंगे। फिल्म इंडस्ट्री एवं दर्शक उन्हें कभी भुला नहीं पाएगे। 2011 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा था। जिंदगी के आखिरी क्षणों तक,वह सहज बने रहे। कभी सफलता का अभिमान उन्हें नहीं आया। उनकी इस सहजता के कारण ही, फिल्म इंडस्ट्री के सभी डायरेक्टर्स उनके साथ काम करने को हमेशा उत्सुक रहते थे। वह अपने समय के एक बेहतरीन कलाकारों में से एक थे। फिल्मी दुनिया में उन्होंने बड़ा मुकाम हासिल किया था। उनके जाने से पूरा बॉलीवुड शोक में डूब गया। राजस्थानी फिल्म एसोसिएशन. मुंबई भी उनकी स्मृति को नमन करते हुए अपने श्रद्धा सुमन उन्हें अर्पित करता है।
दीनदयाल मुरारका .
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